जीवनमृत्यू - जीवन्मुक्ती:

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अजीब कौतूहल है और वैचारिक स्थिति भी । बहुधा मुक्ति के विषय में किंचित प्रज्ञ मनुष्य भी बढ़ चढ़ कर अपना अपना सिद्धांत प्रतिपादित करता नजर आता है । वह मुक्त होने के पहले मृत्यु के विचार में कदाचित विचार नहीं करता । मुक्ति वह भी जीवनमुक्ती अर्थात जीवन के , देह के रहते हुए मुक्त अवस्था को लब्ध हो जाना । फिर प्रश्न आता है कि जब जीवन के रहते हुए ही मुक्ति की उपलब्धि संभव है फिर भयावह मृत्य की चर्चा ही क्यों की जाए । लेकिन मुक्ति चाहे देह के रहते मिले या देह छोड़ने के उपरांत , मुक्त होने के लिए मृत्यु का वरण करना ही होगा । इसीलिए मैंने प्रथम लिखा जीवनमृत्यु अर्थात जीवन तो रहे , देह तो रहे किन्तु मृत्यु हो जाए । अब आप प्रश्न करोगे ये कैसे संभव है कि जीवन भी रहे और मृत्यु भी हो जाए ये तो अकल्पनीय सी बात लगती है । लेकिन यह सत्य है कि जीवन के रहते हुए मुक्त अवस्था प्राप्त होने के लिए जीवन के रहते मृत्यु का वरण करना ही होगा । अब प्रश्न आता है कि जीवन के रहते मृत्यु का क्या तात्पर्य है ? जीवन के रहते मृत्यु का अर्थ है जीवत्व बोध का लोप हो जाना । जीव भाव से पूरी तरह मुक्त हो जाना देह को के कर जो अस्मिता , अहंकार है वह पलायन कर जाना । यावत अन्तःकरण चतुष्ट्य का शिवत्व में विलीनीकरण । यही है जीवन के रहते मृत्यु । जहां मिथ्या का भाव और उसको लेके सारे प्रपंचात्मक व्यापार तिरोहित हो जाते है और जीवत्व का पूरी तरह ह्रास हो जाता है और साधक दिव्योंमाद में सतत विचरण करता है वह कभी उलंग हो पिशाच की भांति उन्मुक्त भाव से विचरण करता है , तो कभी पागलों की तरह प्रेम मत्त हो कभी ठहाके लगाता है तो कभी फुक्का मार कर रोता है , कभी अनाप शनाप बकता है तो कभी सर्वदा मौन का आश्रय लेता है कभी बच्चो के जैसा सहज और निर्बोध दिखता है तो कभी उग्र हो उठता है । यही है जीव की मुक्त अवस्था जिसे सहज समझ आना बहुत कठिन है । उसके सारे कर्मों का क्षय हो जाता है उसके लिए देह को रखने का कोई कारण नहीं होता वह कभी भी जले हुए वस्त्रों की तरह देह को छोड़ सकता है लेकिन किसी लीला के संधान के लिए वह बना रहता है जीवन के रहते हुए मुक्त अवस्था में । लेकिन ध्यान रहे उसकी मृत्यु हो चुकी है वह वह नहीं जिसे आप समझ रहे हो वह वह है जिसे आप समझना नहीं चाहते लेकिन सतत लालायित हो । ऐसे श्रेष्ठ महापुरुषों के श्रीचरणों में कोटि कोटि नमन ।

   - जयति अवधूतेश्वर

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Comments (2 )

varma aman

जीवनमृत्यू - जीवन्मुक्ती 😃😢✌🤞

aadri team astrologer kundli

Thanks, Hope you enjoyed the blog.

KUMAR SANJAY

देह रहे पर मृत्यु हो जाए, अहंकार की, लोभ की और मोह का बंधन छूट जाये सभी से। ऐसे ही महात्मा धरती पर देवता कहे जाते हैं। बहुत सुंदर ॐ नमः शिवाय 🙏

aadri team astrologer kundli

perfectly put.

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