रक्षा -बंधन:

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आज श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधन का पावन पर्व है। हमारे सनातन और वैदिक परम्परा का सबसे पुनीत त्यौहार। क्योंकि भाई और बहिन की समता के बीच बहिन की श्रेष्ठता सिद्ध करने का पर्व अर्थात स्त्री जाति को यथेष्ठ सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने का संकल्प। ये सिर्फ हमारे सिर्फ सनातन हिन्दू परंपरा में ही संभव है। बहुत पहले जब स्वामी विवेकानंद शिकागो की धर्म सभा में बोले तो उनका पहला उच्चारण था "मेरे भाइयों एवं बहिनों" जिसकी कोई अमेरिकन कल्पना भी नहीं कर सकता था । क्योंकि हमारे ऋषि संस्कार हमें यही शिक्षा देते है।

वैसे तो श्रावण का पूरा महीना ही पर्व है, शिव पर्व । सदा शिव को समर्पित ये महीना शिव आराधना और भक्ति का अनुपम पर्व है। शिव भक्तों और साधकों के लिए अपनी चेतना में मधुर उज्जवल ऊर्जा को प्रकट करने और उस ऊर्जा से अपने को आप्लावित करने का मार्ग। क्योंकि एक सच्चा शैव सम्पूर्ण प्रकृति का रक्षक  होता ही है। स्वयं को प्रकृति के साथ एकाकार कर वह इतना सहज हो जाता है कि सबको वह अपना सा लगता है जिससे आर्त जन अपनी आपत्ति - विपत्ति को सहज हो व्यक्त कर देते है और वह अनवरत उन्हे हितार्थ साधना में लगा रहता है।

 शिव का शाब्दिक अर्थ ही है कल्याण , लोक हित। तभी तो शिव को मृत्यु लोक का ईश्वर कहा जाता है। शिव को स्वयं के लिए अवसर कहां ?, उन्हे तो बस यत्र तत्र सर्वत्र दृष्यगत और अनुभूति गत राम ही रमते समझ आते है और शिव पूर्ण निष्ठा से अपनी विराट करुणा को विस्तार दे लोक के रक्षण, पोषण और संहार में रत रहते है। विरोधी वृत्तियों और पाशविक वृत्तियों के संहार में। शिव का उद्घोष है प्रत्येक मनुष्य जो मानवीय संवेदनाओं से भरा पूरा है वह शिव शासन में पूर्ण रूपेण सुरक्षित है। उसकी रक्षा स्वयं शिव करते है । अष्ट भैरव के रूप में वे ही लोक चेतना के रक्षक है।और आत्मानुसंधान के पथिको के लिए सदा शिव । उनको नित्य संगिनी शक्ति परा अंबा उनकी इक्षणा मात्र से समस्त क्रियाओं का संपादन करती है । जन जन की पीड़ा उसे जगत जननी को करुणा से भर देती है। यही करुणा जब साधक की चेतना से एकीभूत हो जाती है तो वह उस महाशक्ति का वरद पुत्र बन जाता है और मातृ शक्ति के प्रति सदा पूज्य भाव से नमित हो जाता है वह बंधुत्व की भावना से सभी के प्रति अपना स्नेह उड़ेलता हुआ प्रफुल्लित भाव से भरा रहता है। और सही मायने में लोक बंधु बन बहिनों को आश्वस्त करता है मा भय।
जयति अवधूतेश्वर

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Comments (1 )

Roy Shuchismita

Very beautiful description.Rakhi purnima ki shubhkamnaye.

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